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गर्म पानी में मेंढक की कहानी

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  गर्म पानी में मेंढक की कहानी एक बार एक मेंढक गर्म पानी के बर्तन में गिर जाता है। वह वर्तन आग पर रखे होने की वजह से और गरम होने लगता है। मेंढक तब बहार निकलने की जगह अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित कर के उसमें बैठा रहता है की वो बाद में निकल जायेगा। पर वर्तन का पानी उबलने लगता है और मेंढ़क से अब तापमान सहन नहीं होता और वो बाहर निकलने की कोशिश में अंदर ही मर जाता है। नैतिक शिक्षा: हम सबको परिस्थियों के अनुसार ढालना पड़ता है परन्तु कई बार जिन परिस्थियों में ज्यादा उलझने लगें तो उनसे सही समय पर बहार निकलने में ही भलाई होती है।

लोमड़ी और बकरी की कहानी

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लोमड़ी और बकरी की कहानी   एक बार एक लोमड़ी रात को जंगल में घूम रही थी की अचानक वो एक कुँए में जा गिरी। अब उसे समझ नहीं आ रहा था की वो करे तो क्या करे। इस लिए उसने सुबह तक का इंतज़ार करने का सोचा। सुबह होते ही एक बकरी कुँए के पास से गुज़री और उसने लोमड़ी को देखा और कहा तुम कुँए में क्या कर रही हो ?  तो बकरी ने कहा की,” में यहाँ पानी पीने आयी हूँ और ये पानी आजतक का सबसे स्वादिष्ट पानी है,आओ तुम भी पी के देखो?” बकरी ने बिना सोचे ही कुँए में छलांग लगा दी। थोड़ी देर पानी पीने के बाद बकरी ने बाहर जाने का सोचा तो देखा की वो वहां फंस चुकी है। अब लोमड़ी ने कहा की में तुम्हारे ऊपर चढ़ कर बाहर निकल जाता हूँ और किसी को मदद के लिए ले आऊंगा। बेचारी भोली बकरी ने लोमड़ी की चाल नहीं समझी और बिना सोचे समझे हाँ कर दी। अब लोमड़ी बाहर निकलते ही बकरी को बोलने लगी की,”अगर तुम इतनी भी समझदार होती तो कभी बिना समझे कुँए में नहीं आती और ऐसे नहीं फस्ती और लोमड़ी ये बोलके वहां से चली गयी।” नैतिक शिक्षा:  कोई भी निर्णय लेने से पहले सोचें। बिना सोचे समझे कोई फैसला ना लें।  

किसान और सांप की कहानी

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 किसान और सांप की कहानी   एक बार एक किसान सर्दियों के दिनों में अपने खेतों में से गुज़र रहा था। तभी उसकी नज़र एक ठंड में सिकुड़ते हुए सांप पर पड़ी। किसान को पता था की सांप बहुत ही खतरनाक जीव है लेकिन फिर भी उसने उसे उठाया और अपनी टोकरी में रख लिया।  फिर उसके ऊपर उनसे घास और पत्ते दाल दिए ताकि उसे कुछ गर्मी मिल जाए और वो ठण्ड की वजह से मरने से बच जाये। जल्द ही सांप ठीक हो गया और उसने टोकरी से निकल कर उस किसान को काट लिया जिसने उसकी इतनी मदद की थी। उसके जहर से तुरंत ही उसकी मौत हो गयी और मरते मरते उसने अपनी आखिरी साँस में यही कहा “मुझसे ये सीख लो, की कभी किसी दुष्ट (बुरे, नीच) पर दया न करो”। नैतिक शिक्षा: कुछ लोग ऐसे होते हैं की जो अपने स्वभाव को कभी नहीं बदलते हैं, फिर चाहे हम उनके साथ कितना भी अच्छा व्यवहार करें। हमेशा उन लोगों से सावधान रहें और उनसे दूरी बनाए रखें जो केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं।  

चींटी और कबूतर की कहानी

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  चींटी और कबूतर की कहानी   एक बार कड़कती गर्मियों में एक चींटी को बहुत प्यास लगी हुई थी। वो पानी की तलाश में एक नदी किनारे पहुंच गयी। नदी में पानी पीने के लिए वो एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी और वहां पर वो फिसल गयी और फिसलते हुए नदी में जा गिरी। पानी का वहाव ज्यादा तेज़ होने से वो नदी में बहने लगी। पास ही में एक पेड़ पर कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को नदी में गिरते हुए देख लिया। कबूतर ने जल्दी से एक पत्ता तोडा और नदी में चींटी के पास फेंक दिया और चींटी उसपर चढ़ गयी। कुछ देर बाद चींटी किनारे लगी और वह पत्ते से उतर कर सूखी जमीं पर आ गयी। उसने पेड़ की तरफ देख और कबूतर को धन्यबाद दिया।    शाम को उसी दिन एक शिकारी जाल लेके कबूतर को पकड़ने आया। कबूतर पेड़ पर आराम कर रहा था और उसको शिकारी के आने का कोई अंदाजा नहीं था। चींटी ने शिकारी को देख लिया और जल्दी से पास जाके उसके पॉंव पर जोर से काटा।  चींटी के काटने पर शिकारी की चीख निकल गयी और कबूतर जाग गया और उड़ गया। नैतिक शिक्षा: कर भला हो भला। अगर आप अच्छा करोगे तो आपके साथ भी अच्छा होगा।  

शेर और चूहा

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  एक बार की बात है जब एक शेर जंगल में सो रहा था। उस समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा अपने मनोरंजन के लिए। इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वो उठ गया साथ में गुस्सा भी हो गया। वहीँ फिर वो जैसे ही चूहे को खाने को हुआ तब चूहे ने उससे विनती करी की उसे वो आजाद कर दें और वो उसे कसम देता है की कभी यदि उसकी जरुरत पड़े तब वो जरुर से शेर की मदद के लिए आएगा। चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया। कुछ महीनों के बाद एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया। वहीँ उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध भी दिया। ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ कर न सका। ऐसे में वो जोर से दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी। वहीँ पास के रास्ते से चूहा गुजर रहा था और जब उसने शेर की दहाड़ सुनी तब उसे आभास हुआ की शेर तकलीफ में है। जैसे ही चूहा शेर के पास पहुंचा वो तुरंत अपनी पैनी दांतों से जाल को कुतरने लगा और जिससे शेर कुछ देर में आजाद भी हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दी। बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की...

भेड़िये और सारस की कहानी

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  एक बार की बात है जंगल में एक भेड़िया बहुत ही भूखा प्यासा भटक रहा था। बहुत देर भूखा प्यासा भटकने के बाद भेड़िये को शिकार के लिए एक जानवर दिखा और भेड़िये ने जानवर को मारकर खा लिया जब भेड़िया जानवर को खा रहा था तो भेड़िये के गले में जानवर की हड्डी फंस गई। बहुत प्रयास करने के बाद भी भेड़िये के गले से हड्डी नहीं लगी। गली में हड्डी को लेकर परेशान होने के बाद इधर उधर घूमने लगा की कोई गले से हड्डी निकलने में मेरी मदद कर दे पर कोई भी जानवर भेड़िये की मदद करने को तैयार नहीं था। बहुत देर तक भटकने के बाद भेड़िये को एक सारस(stork) मिला भेड़िये अपनी सारी समस्या सारस को बताई। इसके बाद सारस ने कहा की अगर मैं तुम्हारी मदद करूँ तुम मुझे क्या दोगे। जिसके बाद भेड़िये ने कहा अगर तुम मेरी मदद करते हो मैं तुम्हें इनाम दूंगा। इनाम के लालच में सारस भेड़िये की मदद को तैयार हो गया। अब सारस ने अपनी लम्बी चोंच को भेड़िये के मुंह में डालकर गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल दिया। जैसे ही सारस ने गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाला भेड़िया बहुत खुश हुआ और जाने लगा। यह देखकर सारस ने कहा की तुमने तो कहा था की मदद करने के बदले म...

सुनहरी कुल्हाड़ी और लकड़हारे की कहानी

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  बहुत साल पहले की बात है की एक नगर में किशन नाम का लकड़हारा (Woodcutter) रहा करता था। वह अपने गुजर बसर के लिए जंगल से लकड़ी काटकर लाता और नगर में बेचता था। इन लकड़ियों को बेचने से लकड़हारे को जो पैसे मिलते थे उससे वह अपने लिए खाना खरीदकर खा लेता था। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी। एक दिन की बात है की जंगल में लकड़हारा एक तेज बहती हुई नदी के पास एक पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था। पेड़ से लकड़ी काटते हुए कुल्हाड़ी लकड़हारे के हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी। कुल्हाड़ी ढूंढने के लिए लकड़हारा पेड़ से नीचे उतरा और कुल्हाड़ी ढूढ़ने लगा लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद लकड़हारे को उसकी कुल्हाड़ी नहीं मिली। लकड़हारे ने सोचा की नदी में पानी बहुत गहरा है और बहाव भी तेज है। कुल्हाड़ी नदी में पानी के साथ बह गयी होगी। उदास और मायूस होकर लकड़हारा नदी किनारे बैठकर रोने लगा। कुल्हाड़ी खो जाने से लकड़हारा काफी दुखी था। लकड़हारे यह सोचने लगा की उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं की वह नयी कुल्हाड़ी खरीद सके। जब लकड़हारा दुखी होकर नदी किनारे बैठा हुआ था तब नदी से एक देवता स्वरुप मनुष्य प्रकट हुए और उन्होंने लकड़हारे को आवाज़ लगाई। देवता ...