बिल्ली और बंदर
**बिल्ली और बंदर**
बहुत समय पहले की बात है, एक छोटी सी बिल्ली जंगल में रहती थी। वह बहुत ही प्यारी और मासूम थी। एक दिन, उसने एक बंदर को देखा, जो उसके पास आया।
बिल्ली ने बंदर से पूछा, "क्या आप मेरे साथ खेलना चाहेंगे?"
बंदर ने हँसते हुए कहा, "हा हा, तुम मेरे साथ खेलना चाहती हो? तुम मुझसे तो बड़ी होकर कुछ नहीं सिख सकती।"
बिल्ली थोड़ी ही निराश हुई, लेकिन वह अब भी खेलना चाहती थी, इसलिए उसने बंदर से कहा, "कृपया मुझे खेलने का एक मौका दीजिए।"
बंदर ने सोचा कि यह एक अच्छा मौका है उसे हंसी आएगी। इसलिए उसने बिल्ली से कहा, "ठीक है, हम एक खेल खेलते हैं। हम एक दौड़ खेलेंगे, और जो भी पहले लकड़ी के पैर पर पहुंचता है, वह जीता है।"
बिल्ली ने सहमति दी और खेल शुरू हो गया। बिल्ली ने कुछ ही कदम बढ़ाए और लकड़ी के पैर पर पहुंच गई। वह खेल की विजेता बन गई।
बंदर थोड़ा हैरान हो गया और खुशी-खुशी बिल्ली के साथ खेलने लगा। बंदर ने सिखा कि हर किसी के पास खुशियाँ हो सकती हैं, छाहे वह छोटा हो या बड़ा।
इस कहानी से हमें यह सिखना चाहिए कि हमें दूसरों को नीकी भावनाओं के साथ संजीवनी देना चाहिए, और हमें कभी भी किसी की छोटीज़ देखकर मजाक नहीं उड़ाना चाहिए।
I hope you and the kids enjoy this short story!

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