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Showing posts from October, 2023

गर्म पानी में मेंढक की कहानी

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  गर्म पानी में मेंढक की कहानी एक बार एक मेंढक गर्म पानी के बर्तन में गिर जाता है। वह वर्तन आग पर रखे होने की वजह से और गरम होने लगता है। मेंढक तब बहार निकलने की जगह अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित कर के उसमें बैठा रहता है की वो बाद में निकल जायेगा। पर वर्तन का पानी उबलने लगता है और मेंढ़क से अब तापमान सहन नहीं होता और वो बाहर निकलने की कोशिश में अंदर ही मर जाता है। नैतिक शिक्षा: हम सबको परिस्थियों के अनुसार ढालना पड़ता है परन्तु कई बार जिन परिस्थियों में ज्यादा उलझने लगें तो उनसे सही समय पर बहार निकलने में ही भलाई होती है।

लोमड़ी और बकरी की कहानी

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लोमड़ी और बकरी की कहानी   एक बार एक लोमड़ी रात को जंगल में घूम रही थी की अचानक वो एक कुँए में जा गिरी। अब उसे समझ नहीं आ रहा था की वो करे तो क्या करे। इस लिए उसने सुबह तक का इंतज़ार करने का सोचा। सुबह होते ही एक बकरी कुँए के पास से गुज़री और उसने लोमड़ी को देखा और कहा तुम कुँए में क्या कर रही हो ?  तो बकरी ने कहा की,” में यहाँ पानी पीने आयी हूँ और ये पानी आजतक का सबसे स्वादिष्ट पानी है,आओ तुम भी पी के देखो?” बकरी ने बिना सोचे ही कुँए में छलांग लगा दी। थोड़ी देर पानी पीने के बाद बकरी ने बाहर जाने का सोचा तो देखा की वो वहां फंस चुकी है। अब लोमड़ी ने कहा की में तुम्हारे ऊपर चढ़ कर बाहर निकल जाता हूँ और किसी को मदद के लिए ले आऊंगा। बेचारी भोली बकरी ने लोमड़ी की चाल नहीं समझी और बिना सोचे समझे हाँ कर दी। अब लोमड़ी बाहर निकलते ही बकरी को बोलने लगी की,”अगर तुम इतनी भी समझदार होती तो कभी बिना समझे कुँए में नहीं आती और ऐसे नहीं फस्ती और लोमड़ी ये बोलके वहां से चली गयी।” नैतिक शिक्षा:  कोई भी निर्णय लेने से पहले सोचें। बिना सोचे समझे कोई फैसला ना लें।  

किसान और सांप की कहानी

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 किसान और सांप की कहानी   एक बार एक किसान सर्दियों के दिनों में अपने खेतों में से गुज़र रहा था। तभी उसकी नज़र एक ठंड में सिकुड़ते हुए सांप पर पड़ी। किसान को पता था की सांप बहुत ही खतरनाक जीव है लेकिन फिर भी उसने उसे उठाया और अपनी टोकरी में रख लिया।  फिर उसके ऊपर उनसे घास और पत्ते दाल दिए ताकि उसे कुछ गर्मी मिल जाए और वो ठण्ड की वजह से मरने से बच जाये। जल्द ही सांप ठीक हो गया और उसने टोकरी से निकल कर उस किसान को काट लिया जिसने उसकी इतनी मदद की थी। उसके जहर से तुरंत ही उसकी मौत हो गयी और मरते मरते उसने अपनी आखिरी साँस में यही कहा “मुझसे ये सीख लो, की कभी किसी दुष्ट (बुरे, नीच) पर दया न करो”। नैतिक शिक्षा: कुछ लोग ऐसे होते हैं की जो अपने स्वभाव को कभी नहीं बदलते हैं, फिर चाहे हम उनके साथ कितना भी अच्छा व्यवहार करें। हमेशा उन लोगों से सावधान रहें और उनसे दूरी बनाए रखें जो केवल अपने फायदे के बारे में सोचते हैं।  

चींटी और कबूतर की कहानी

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  चींटी और कबूतर की कहानी   एक बार कड़कती गर्मियों में एक चींटी को बहुत प्यास लगी हुई थी। वो पानी की तलाश में एक नदी किनारे पहुंच गयी। नदी में पानी पीने के लिए वो एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी और वहां पर वो फिसल गयी और फिसलते हुए नदी में जा गिरी। पानी का वहाव ज्यादा तेज़ होने से वो नदी में बहने लगी। पास ही में एक पेड़ पर कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को नदी में गिरते हुए देख लिया। कबूतर ने जल्दी से एक पत्ता तोडा और नदी में चींटी के पास फेंक दिया और चींटी उसपर चढ़ गयी। कुछ देर बाद चींटी किनारे लगी और वह पत्ते से उतर कर सूखी जमीं पर आ गयी। उसने पेड़ की तरफ देख और कबूतर को धन्यबाद दिया।    शाम को उसी दिन एक शिकारी जाल लेके कबूतर को पकड़ने आया। कबूतर पेड़ पर आराम कर रहा था और उसको शिकारी के आने का कोई अंदाजा नहीं था। चींटी ने शिकारी को देख लिया और जल्दी से पास जाके उसके पॉंव पर जोर से काटा।  चींटी के काटने पर शिकारी की चीख निकल गयी और कबूतर जाग गया और उड़ गया। नैतिक शिक्षा: कर भला हो भला। अगर आप अच्छा करोगे तो आपके साथ भी अच्छा होगा।  

शेर और चूहा

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  एक बार की बात है जब एक शेर जंगल में सो रहा था। उस समय एक चूहा उसके शरीर में उछल कूद करने लगा अपने मनोरंजन के लिए। इससे शेर की नींद ख़राब हो गयी और वो उठ गया साथ में गुस्सा भी हो गया। वहीँ फिर वो जैसे ही चूहे को खाने को हुआ तब चूहे ने उससे विनती करी की उसे वो आजाद कर दें और वो उसे कसम देता है की कभी यदि उसकी जरुरत पड़े तब वो जरुर से शेर की मदद के लिए आएगा। चूहे की इस साहसिकता को देखकर शेर बहुत हँसा और उसे जाने दिया। कुछ महीनों के बाद एक दिन, कुछ शिकारी जंगल में शिकार करने आये और उन्होंने अपने जाल में शेर को फंसा लिया। वहीँ उसे उन्होंने एक पेड़ से बांध भी दिया। ऐसे में परेशान शेर खुदको छुड़ाने का बहुत प्रयत्न किया लेकिन कुछ कर न सका। ऐसे में वो जोर से दहाड़ने लगा। उसकी दहाड़ बहुत दूर तक सुनाई देने लगी। वहीँ पास के रास्ते से चूहा गुजर रहा था और जब उसने शेर की दहाड़ सुनी तब उसे आभास हुआ की शेर तकलीफ में है। जैसे ही चूहा शेर के पास पहुंचा वो तुरंत अपनी पैनी दांतों से जाल को कुतरने लगा और जिससे शेर कुछ देर में आजाद भी हो गया और उसने चूहे को धन्यवाद दी। बाद में दोनों साथ मिलकर जंगल की...

भेड़िये और सारस की कहानी

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  एक बार की बात है जंगल में एक भेड़िया बहुत ही भूखा प्यासा भटक रहा था। बहुत देर भूखा प्यासा भटकने के बाद भेड़िये को शिकार के लिए एक जानवर दिखा और भेड़िये ने जानवर को मारकर खा लिया जब भेड़िया जानवर को खा रहा था तो भेड़िये के गले में जानवर की हड्डी फंस गई। बहुत प्रयास करने के बाद भी भेड़िये के गले से हड्डी नहीं लगी। गली में हड्डी को लेकर परेशान होने के बाद इधर उधर घूमने लगा की कोई गले से हड्डी निकलने में मेरी मदद कर दे पर कोई भी जानवर भेड़िये की मदद करने को तैयार नहीं था। बहुत देर तक भटकने के बाद भेड़िये को एक सारस(stork) मिला भेड़िये अपनी सारी समस्या सारस को बताई। इसके बाद सारस ने कहा की अगर मैं तुम्हारी मदद करूँ तुम मुझे क्या दोगे। जिसके बाद भेड़िये ने कहा अगर तुम मेरी मदद करते हो मैं तुम्हें इनाम दूंगा। इनाम के लालच में सारस भेड़िये की मदद को तैयार हो गया। अब सारस ने अपनी लम्बी चोंच को भेड़िये के मुंह में डालकर गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाल दिया। जैसे ही सारस ने गले में फंसी हड्डी को बाहर निकाला भेड़िया बहुत खुश हुआ और जाने लगा। यह देखकर सारस ने कहा की तुमने तो कहा था की मदद करने के बदले म...

सुनहरी कुल्हाड़ी और लकड़हारे की कहानी

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  बहुत साल पहले की बात है की एक नगर में किशन नाम का लकड़हारा (Woodcutter) रहा करता था। वह अपने गुजर बसर के लिए जंगल से लकड़ी काटकर लाता और नगर में बेचता था। इन लकड़ियों को बेचने से लकड़हारे को जो पैसे मिलते थे उससे वह अपने लिए खाना खरीदकर खा लेता था। यह उसकी रोज की दिनचर्या थी। एक दिन की बात है की जंगल में लकड़हारा एक तेज बहती हुई नदी के पास एक पेड़ पर चढ़कर लकड़ी काट रहा था। पेड़ से लकड़ी काटते हुए कुल्हाड़ी लकड़हारे के हाथ से छूटकर नदी में जा गिरी। कुल्हाड़ी ढूंढने के लिए लकड़हारा पेड़ से नीचे उतरा और कुल्हाड़ी ढूढ़ने लगा लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद लकड़हारे को उसकी कुल्हाड़ी नहीं मिली। लकड़हारे ने सोचा की नदी में पानी बहुत गहरा है और बहाव भी तेज है। कुल्हाड़ी नदी में पानी के साथ बह गयी होगी। उदास और मायूस होकर लकड़हारा नदी किनारे बैठकर रोने लगा। कुल्हाड़ी खो जाने से लकड़हारा काफी दुखी था। लकड़हारे यह सोचने लगा की उसके पास इतने पैसे भी नहीं हैं की वह नयी कुल्हाड़ी खरीद सके। जब लकड़हारा दुखी होकर नदी किनारे बैठा हुआ था तब नदी से एक देवता स्वरुप मनुष्य प्रकट हुए और उन्होंने लकड़हारे को आवाज़ लगाई। देवता ...

प्यासे कौवे की कहानी

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  दोस्तों एक बार की बात है की बहुत तेज चिलचिलाती गर्मी पड़ रही थी। दोपहर का समय था। इस गर्मी भरी दोपहर में एक कौवा प्यास के मारे पानी की तलाश में भटक रहा था। बहुत से जगह ढूंढने के बाद भी कौवे को पानी नहीं मिला। पानी की तलाश में कौवा उड़ता ही जा रहा था। पानी की तलाश में उड़ते हुए प्यासे कौवे की नज़र एक पानी से भरे घड़े पर पड़ी। कौवा घड़े के पास आया और पानी पीने के लिए प्यासे कौवे ने जैसे ही अपना मुँह घड़े के अंदर डाला तो देखा की पानी उसकी पहुँच से बाहर है। बहुत प्रयास करने के बाद भी कौवा अपनी चोंच पानी तक नहीं पहुंचा पा रहा था। जब कौवे ने देखा की वह पानी तक अपनी चोंच नहीं पहुंचा पा रहा है तो कौवे ने इसके लिए एक तरकीब निकाली। कौवे ने घड़े के पास पड़े पत्थर और कंकड़ अपनी चोंच में लाकर घड़े में डालने लगा। एक-दो कंकड़ कौवा अपनी चोंच में दबाकर लाता और घड़े में डाल देता। पत्थर और कंकड़ डालने से घड़े का पानी ऊपर आने लगा। प्यासा कौवा बड़ी मेहनत से तब तक घड़े में पत्थर डालता रहा जब तक घड़े का पानी घड़े के ऊपरी सिरे तक नहीं आ गया। कौवे की मेहनत रंग लाई और देखते ही देखते पानी घड़े के ऊपरी सिरे तक पहुंच गया जि...

लालची लोमड़ी की कहानी

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  लालची लोमड़ी की कहानी में यह है की एक बार की बात है एक जंगल में एक चालाक लोमड़ी रहा करती थी। गर्मियों के दिन थे और वह भूख से परेशान होकर जंगल में भटक रही थी। बहुत देर जंगल में भटकने के बाद लोमड़ी को एक खरगोश मिला। लेकिन खरगोश मिलने के बाद लोमड़ी ने खरगोश को खाने की बजाय उसे छोड़ दिया क्योंकि वह इतना छोटा था की उसे खाने से लोमड़ी का पेट कहाँ भरने वाला था। इसके बाद लोमड़ी आगे बढ़ी फिर से जंगल में भटकने लगी। कुछ देर जंगल में भटकने के बाद भूखी लोमड़ी को एक हिरण (Deer) दिखा हिरण को देखते ही लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। लोमड़ी हिरण को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगी। लोमड़ी ने अपनी पूरी ताकत से हिरण का पीछा किया पर हिरण लोमड़ी की पकड़ में नहीं आया। अब लोमड़ी खाने की तलाश में बहुत ही थक चुकी थी। जब लोमड़ी के हाथ हिरन भी नहीं लगा तो लोमड़ी सोचने लगी की इससे अच्छा होता वह छोटे से खरगोश को ही खा लेती जिसको उसने छोड़ा था। कुछ देर आराम करने के बाद लोमड़ी खरगोश को ढूंढने के लिए फिर से जंगल में भटकने लगी। जंगल में खरगोश को ढूंढते हुए लोमड़ी वहां पहुँची जहाँ उसने खरगोश (Rabbit) को देखा था। लेकिन लोमड़ी को वहां...

बंदर और मगरमच्छ की मित्रता

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"बंदर और मगरमच्छ की मित्रता" एक गांव में, एक बंदर और एक मगरमच्छ बहुत अच्छे दोस्त थे। वे हमेशा साथ खेलते और समय बिताते थे। बंदर बहुत तेज था और मगरमच्छ बहुत होशियार था। एक दिन, बंदर और मगरमच्छ नदी के किनारे गए। वहाँ एक सांप फंसा हुआ था और वो बच नहीं सकता था। बंदर और मगरमच्छ ने देखा कि सांप कितना डरा हुआ था। बंदर ने कहा, "हमें उसकी मदद करनी चाहिए।" मगरमच्छ ने सहमति दी और उन्होंने मिलकर सांप को बचाया। सांप थोड़ा डरा हुआ था, लेकिन बंदर और मगरमच्छ ने उसे समझाया कि वे दोस्त हैं और उसको कुछ नहीं होगा। वह सांप धीरे-धीरे विश्वास करने लगा और फिर वे तीनों साथ मिलकर खुशी-खुशी खेलने लगे। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि दोस्ती में जज्बात और मित्रता महत्वपूर्ण होती है। हमें दूसरों की मदद करने में खुशी मिलती है और हमें सभी को साथ में खुशियाँ मिलती हैं। I hope you and the kids enjoy this short story!

बिल्ली और बंदर

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**बिल्ली और बंदर** बहुत समय पहले की बात है, एक छोटी सी बिल्ली जंगल में रहती थी। वह बहुत ही प्यारी और मासूम थी। एक दिन, उसने एक बंदर को देखा, जो उसके पास आया। बिल्ली ने बंदर से पूछा, "क्या आप मेरे साथ खेलना चाहेंगे?" बंदर ने हँसते हुए कहा, "हा हा, तुम मेरे साथ खेलना चाहती हो? तुम मुझसे तो बड़ी होकर कुछ नहीं सिख सकती।" बिल्ली थोड़ी ही निराश हुई, लेकिन वह अब भी खेलना चाहती थी, इसलिए उसने बंदर से कहा, "कृपया मुझे खेलने का एक मौका दीजिए।" बंदर ने सोचा कि यह एक अच्छा मौका है उसे हंसी आएगी। इसलिए उसने बिल्ली से कहा, "ठीक है, हम एक खेल खेलते हैं। हम एक दौड़ खेलेंगे, और जो भी पहले लकड़ी के पैर पर पहुंचता है, वह जीता है।" बिल्ली ने सहमति दी और खेल शुरू हो गया। बिल्ली ने कुछ ही कदम बढ़ाए और लकड़ी के पैर पर पहुंच गई। वह खेल की विजेता बन गई। बंदर थोड़ा हैरान हो गया और खुशी-खुशी बिल्ली के साथ खेलने लगा। बंदर ने सिखा कि हर किसी के पास खुशियाँ हो सकती हैं, छाहे वह छोटा हो या बड़ा। इस कहानी से हमें यह सिखना चाहिए कि हमें दूसरों को नीकी भावनाओं के साथ संजीवनी देना...

चिंटू का बालूका

Title: "चिंटू का बालूका" कहानी एक गांव के छोटे से लड़के चिंटू की है। चिंटू गरीब था, लेकिन उसमें खुशी की बेहद आदत थी। एक दिन, चिंटू ने गांव के किसान से पूछा, "किसान जी, आपके पास बहुत सारा फल-सब्जी होता है। क्या आप मुझे कुछ दे सकते हैं?" किसान ने देखा कि चिंटू बेहद प्यारा और अच्छा बच्चा है, इसलिए उसने उसे एक बड़ा सा बालूका दिया। चिंटू खुशी-खुशी उस बालूके को अपने घर ले आया। बालूके के साथ चिंटू का दिन बहुत अच्छा गुजरा। वह उसके साथ खेलता और बातें करता। चिंटू ने अपने दोस्तों को भी बालूके के साथ खेलने के लिए बुलाया। फिर, रात को जब सब सो गए, चिंटू ने देखा कि उसका बालूका आवाज़ कर रहा है। वह बालूके की तरफ देखा और पता चला कि उसके बालूके में छोटे-छोटे जादू के ताकत हैं! चिंटू ने दिल से मांगा कि बालूके, कृपया मेरे दोस्तों को मौजूद रहने के लिए एक बड़ा घर बना दो। और जैसे ही वह मांगा, बालूके ने एक बड़ा सा घर बना दिया। अब चिंटू के घर में बालूके के साथ उसके दोस्त भी खुशी-खुशी रहने लगे। वे सब मिलकर खेलते और बड़े मजे करते। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें वो कम है जो हमारे ...

खरगोश और कछुआ (The Rabbit and the Tortoise)

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 Here's a short story in Hindi for kids: **Title: खरगोश और कछुआ (The Rabbit and the Tortoise)**    **कहानी:** बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गाँव में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। वे बहुत अच्छे दोस्त थे। एक दिन, खरगोश ने कछुआ से कहा, "हम एक दौड़ का आयोजन करेंगे।" कछुआ मुस्कुराया और मान गया। वे एक समय और स्थान तय करने लगे। दौड़ का दिन आया और खरगोश और कछुआ दौड़ने के लिए तैयार थे। एक बार शुरू होने पर, खरगोश तेजी से दौड़ने लगा, जबकि कछुआ धीमे कदमों से आगे बढ़ रहा था। खरगोश ने देखा कि वह बहुत आगे गया है और वह बार-बार देखने लगा कि कछुआ कहां है। उसने सोचा, "मुझे जरुर जीत मिलेगी।" और वह थोड़ा और तेजी से दौड़ने लगा। फिर वह थक गया और एक पेड़ के पास बैठ गया, सोचते हुए कि कछुआ उसके पास आने में कितना समय लगेगा। किंगकरण के बाद, खरगोश नींद में सो गया। वह सुबह तक गहरी नींद में था और उसने दौड़ के समय बड़ी ही धीमी गति से दौड़ा था। जब खरगोश ने आंखें खोली, तो वह देखा कि कछुआ आराम से पहुँच चुका था और पहले ही विजयी घोषणा कर चुका था। खरगोश बहुत दुखी हुआ क्योंकि उसने गर्व और अहंकार...

Introduction

 Hi,   My name is Shanvee Verma and I am 5 year old.